Friday, December 7, 2012

गठवाड़ी. लांबीधाम आश्रम में लोगों से घटना की जानकारी लेते पुलिस उप अधीक्षक जे.पी.शर्मा।


theft in Gathwari Temple

आभूषण-छत्र-मुकुट ले गए <br><br> गठवाड़ीत्न ब्रह्मलीन बाबा बन्नादासजी महाराज के आश्रम लांबी धाम के तीन मंदिरों से गुरुवार रात चांदी के छत्र-मुकुट आभूषण अन्य सामान चोरी हो गया। घटना का पता सुबह पूजा के लिए मंदिर के पट खोलने पर चला। सूचना पर शाहपुरा पुलिस उपाधीक्षक जे.पी. शर्मा, मनोहरपुर थाना प्रभारी श्रीमोहन मीणा मय जाब्ते के मौके पर पहुंचे। जानकारी के अनुसार शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे आश्रम के महंत सीतारामदासजी महाराज पूजा के लिए जब मंदिर पंहुचे तो बजरंगबली के मंदिर का ताला टूटा हुआ था। बजरंग बली के छत्र, मुकुट एवं अन्य सामान गायब था। महाराज ने अन्य मंदिरों में देखा तो वहां से भी भगवान के आभूषण आदि सामान नदारद थे। उन्होंने चोरी की सूचना अन्य लोगों को दी। आश्रम में चोरी होने की सूचना पाकर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए। <br><br> मनोहरपुर थाना पुलिस ने मौका मुआयना किया। इस के बाद शाहपुरा डीएसपी, मनोहरपुर थाना प्रभारी भी मौके पर पंहुचे। लोगों ने डीएसपी से मामले की जांच कर चोरों को शीघ्र गिरफ्तारी करने की मांग की। डीएसपी ने विशेष टीम गठित कर शीघ्र मामले का खुलासा करने का आश्वासन दिया। बाद में जयपुर से एफएसएल की टीम एवं डॉग स्क्वायड मौके पर पहुंचे एवं जांच कर नमूने लिए। महाराज सीतारामदासजी ने बताया की वे रात करीब सात बजे मंदिर के पट बंद कर सोने के लिए मंदिर से नीचे गए थे। चोरों द्वारा किसी भी मौके पर किसी भी प्रकार का सुराग नही छोड़े जाने से डॉग स्क्वायड से कुछ खास मदद नहीं मिल सकी। उन्हें गाड़ी से भी नहीं उतारा गया। टीम के आने तक काफी लोग घटना स्थल पर चुके थे। चोर मंदिर से भगवान बजरंग बली का डेढ़ किलो चांदी का छत्र, ढाई किलो का मुकुट, पांव का कड़ा एवं पूजन के काम आने वाले पीतल तांबे के बर्तन ले गए। इसी प्रकार राधागोविंदजी एवं सीतारामजी के मंदिरों आधा-आधा किलो चांदी के छत्र, भगवान गोविंद की चांदी की बांसुरी, आभूषण, भगवान लड्डूगोपाल की मूर्ति, सिंहासन सहित शालिगरामजी की मूर्ति, पीतल एवं तांबे के बर्तन, सजावट के काम रही अन्य तांबे एवं पीतल की सामग्री आदि ले गए

Thursday, December 6, 2012

Mukesh Saini Gathwari Fort Visit Image







Gathwari Fort Visit


दोस्तों वापस छुटियों पर आने के बाद आज गठ्वारी के एतिहासिक स्थान गढ़( किला) पर जाने के लिए सुबह तैयार हो गया था | वैसे मन तो गुडगाँव था तभी से था| स्कूली दिनों में लगभग रोज इंटरवल(खेलघंटी)में जाया करते थे|
अब कुछ वैचारिक उदभव हुआ देखने नजरिया...

बदल गया था पर उनों दिनों के यादे साथ थी| यह स्थान एह्तिहसिक होने के साथ -साथ धार्मिक भी है| यहाँ माता का मंदिर जिसे गठ्वाली भवानी के नाम से जाना जाता है
इस गढ़ और आम के बगीचों के कारण हमारे गांव का नाम करण हुआ हैऐसा भूगोलवेत्ताओं का मनाना है|
खैर यादों के झोरोखों के साथ मैं गढ़ प्रवेश किया |
 

समय के साथ बदलाव के बयार यहाँ पर भी चली| गठ्वारी के
विकास के साथ -साथ किले में पथरीले रास्ते के बजाय सीमेंट रोड बना दी गयी है| रंग -रोगन से चमक वापस लोटा दी गयी हम जब पहले वहाँ पहुच कर आम के बगीचों के हरियाली देखा करते वो थोड़ी सी कम नजर आई

मैं आप दोस्तों से यह कहूँगा की बुजर्ग ने गठ्वारी के लिए जो विरासत हमें दी उसको सहेज रखना हमारा कर्तव्य होना चाहिए |गढ़ और आम के बगीचे गठ्वारी की विरासत है
धन्यवाद
आपका अपना
मुकेश सैनी